टमाटर अब चुनावी मुदा बन चुका है

टमाटर अब चुनावी मुद्दा बनने को तैयार हो गया है.

जी हां टमाटर का भाव इस कदर खुमार चढ़ कर बोल रहा है मानो जैसे सोना महंगा हो.

इन दिनों टमाटर चर्चा में है। घर के किचन से लेकर होटल-रेस्टोरेंट में स्वादिष्ट भोजन और चटनी तक का हिस्सा बन चुका टमाटर इन दिनों जेब पर भारी पड़ रहा है। कीमतें 100 रुपये (प्रति किलो) से पार हैं और हालात ऐसे है कि सरकार कभी माथा घूम गया है। उसने कीमतें कम करने के लिए टमाटर ग्रैंड चैलेंज’ शुरू करने की तैयारी हो रही है.कोशिश है कि इसके जरिए कीमतों में कमी लाई जा सकती है.क्योंकि बढ़ती कीमतें हर घर के किचन पर चोट कर रही हैं, ऐसे में इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनने में देर नहीं लगेगी.लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया में दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा टमाटर उत्पादन करने वाला भारत है.लेकिन 500 साल पहले तक भारत टमाटर से अनजान था.

वैसे तो टमाटर का जन्म मैक्सिको और पेरू से माना जाता है. लेकिन वहां से यह 15-16 वीं शताब्दी में स्पेन पहुंचा और यूरोप से भारत में पुर्तगालियों के जरिए भारत में पहुंचा आज हम जिस धड़ल्ले से टमाटर को खाते हैं, आपको जानकर हैरानी होगी कि अमेरिकी महाद्वीप में काफी समय तक इसे जहर के रूप देखा जाता था और लोग जान गंवाने के डर से इसे नहीं खाते थे.लेकिन यूरोप में इसका स्वाद लोगों के जुबान पर चढ़ गया आलम यह था कि फ्रांस, इटली में इसे लोग गोल्ड एप्पल कहने लगे और इन्हीं यूरोपीय व्यापारियों के जरिए टमाटर की भारत में एंट्री हुई.
लेकिन देश में 80-85 फीसदी टमाटर की खपत सीधे तौर पर सब्जी के रूप में होती है.जबकि 15-20 फीसदी की खपत प्रोसेसिंग इंडस्ट्री करती है. इसमें से करीब 1.50 लाख टन केचअप बनाने में इस्तेमाल होता है.भारत में सबसे ज्यादा टमाटर का उत्पादन मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक होता है.ये तीनों राज्य मिलकर देश में कुल टमाटर उत्पादन का करीब 35 फीसदी हिस्सा रखते है.
लेकिन टमाटर के बढ़ते कीमतों के बीच महंगाई को लेकर राजनीत शुरू हो गई है. जिसका असर विपक्ष पार्टियां होने वाले चुनावों में मुद्दा बनने को तैयार है.

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