मीरा ‘जी’ पर इतनी मेहेरबानी क्यों जहांपनाह?

साल 2021 में खूंटी में महिला थाना प्रभारी मीरा सिंह ने दुष्कर्म के आरोपी को बचाने के लिए 50 हजार की मांग की, पहली किस्त में 15 हजार लेते गिरफ्तार हुईं। चार्जशीट हुआ। जेल से जमानत पर छूटीं तो खूंटी से हटाकर रांची में इनामी पोस्टिंग हुई। जुलाई 2022 में तुपुदाना थाना प्रभारी बना दी गई। समझिए दुष्कर्म के आरोपी को बचाने के लिए पैसे का खेल करने वाली अधिकारी को राजधानी में तैनात किया गया।

लेकिन, पूर्व के किए का पश्चाताप करने के बजाए मीरा ‘जी’ ने यहां भी अपने डंडे के जोर पर थानेदारी जारी रखी। चोरी की घटना के बाद विकास कुमार नाम के बेगुनाह युवक को थाने लाकर बेरहमी से पीटा गया। मानवाधिकार आयोग तक ने करवाई के लिए डीसी, एसएसपी को पत्र लिखा। कोई कार्रवाई नहीं हुई।ऐसे ही मामले में बीते दिनों अरगोड़ा के थाना प्रभारी को ना सिर्फ निलंबित किया गया, बल्कि तबादला भी चाईबासा जिले में कर दिया गया।

क्या पुलिस के पदाधिकारी बताएंगे कि उनके एक आंख में काजल और दूसरे में सुरमा क्यों है? मीरा ‘जी’ को कौन सी ताकत बचा रही है? किस बड़ी साजिश को अंजाम देने का सरकार ने इनाम दिया?

मीरा ‘जी’ पर हुक़ूमरानों का आशीर्वाद इस कदर है कि एक पत्रकार पर तुपुदाना में कई सनहा किया गया। पत्रकार की गलती थी कि वह थानेदार की गतिविधियों पर सवाल उठाता था। पत्रकार ने आला अधिकारियों से मुलाकात की। अफसरों ने टका सा जवाब दिया– आप लोग जानते ही हैं, कुछ नहीं कर सकते। थोड़ा बर्दाश्त कीजिए।

डीजीपी साहब/एसएसपी साहब को बताना चाहिये की आदिवासी विरोधी इस घूस की आरोपी दारोग़ा मीरा सिंह ‘जी’ को कौन बचा रहा है और क्यों?क्या उन्हें सारे मामले में क्लीन चिट मिल गई है?

झारखंड के साहिबगंज जिलों में दर्जनों गांव कटाव की जद में है। कुछ गांव गंगा नदी के किनारे हैं तो कुछ स्थानीय गुमानी नदी के किनारे । गुमानी नदी के किनारे बसे तकरीबन 30 गांव कटाव की जद में हैं।
साहिबगंज जिलों में दर्जनों गांव कटाव की जद में है। कुछ गांव गंगा नदी के किनारे हैं तो कुछ स्थानीय गुमानी नदी के किनारे । गुमानी नदी के किनारे बसे तकरीबन 30 गांव कटाव की जद में हैं। ग्रामीणों की शिकायत है कि समय रहते अगर पहल नहीं हुई तो संबंधित परिवार की परेशानी बढ़ सकती है। बीते सोमवार की रात को बरहड़वा प्रखण्ड क्षेत्र के माधवापाड़ा पंचायत के अबदुल्लापुर गांव के फकीरपाड़ा में 8-9 मकान कटाव की चपेट में आ गया था। बता दें कि साहिबगंज जिले में यह समस्या नई नहीं है। बरसात आते ही कटाव की समस्या शुरू हो जाती है। मकान, दुकान, स्कूल, पंचायत भवन और सड़कें, नदी में समा जाती है। लोगों को नए सिरे से मकान बनाना पड़ता है।

प्रशासन से मांग रहे आशियाना और जमीन गौरतलब है कि अब्दुल्लापुर गांव के फकीरपाड़ा के फहीमा बीबी, आसमारा खातुन, मरजीना बीबी, रमिसा बेवा, रुखसाना आरा, मेशर शेख व साहूद आलम का घर नदी के कटाव की चपेट में आने से कुछ परिवार के लोग अब गांव के दूसरे घर में चले गए हैं। जबकि कुछ परिवार गांव छोड़ के रिश्तेदार के घर पर रहने को विवश हैं। पीड़ित परिवार के लोगों ने प्रशासन से रहने के लिए जमीन व मकान उपलब्ध कराने की मांग की है।

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